How India's opposition looked down and out – now they're back


 मंगलवार को भारत के लोकसभा चुनाव के नतीजों को घोषित किया जिसकी व्याख्या असामान्य तरीके से की जा रही है। वहीं उपविजेता जश्न मना रहे हैं, जहां विजेता शांत दिख रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन ने 543 सदस्यीय संसद में 290 से अधिक सीटों को पाकर ऐतिहासिक तीसरी बार सत्ता हासिल की है।

लेकिन उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने दम पर सरकार बनाने में नाकामयाब रही| जो की फुल बहुमत की सरकार बनाने के लिए 272 सीटों के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई - और प्रधान मंत्री को अब बहुत कमजोर नेता के रूप में देखा जा रहा है।

इस नतीजे में काँग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी और विपक्षी भारतीय गठबंधन के लिए एक बड़ी वापसी कहा जा सकता है|

गठबंधन ने सिर्फ 232 सीटें जीती हैं और उसको सरकार बनाने के लिए 272 सीटें चाहिए उनके पास सरकार बनाने के लिए कोई पर्याप्त संख्या नहीं है - लेकिन वोटों की गिनती शुरू होने से पहेले और 24 घंटे के बाद मे वो लोग मानने को तैयार नहीं थे उनको लगता था की हम बहुमत मे आ जाएंगे|

उत्साहित कांग्रेस पार्टी ने फैसले को "श्री नरेंद्र मोदी के लिए एक सामाजिक और राजनीतिक हार" कहा, जिसको भाजपा ने मुख्य रूप से उनके नाम और उनके रिकार्ड के चलते खूब प्रचार किया । मंगलवार शाम को, श्री राहुल गांधी ने एक मीडिया प्रेस के सम्मेलन में कहा कि " मोदी और [गृह मंत्री] अमित शाह कि हम आपको नहीं चाहते।”

यह एक उत्साह की प्रष्ठभूमि हो सकती है|


चुनाव में जाता हुआ इंडिया गठबंधन पूरी तरह से अव्यवस्थित दिख रहा था और जो की 24 लोगों से अधिक क्षेत्रीय दलों से बना हुआ कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन टूटने कगार पर आ गया था| विशेषज्ञों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया था कि क्या श्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देना उचित नहीं माना जा रहा था , जो उस समय जीत दिखाई पढ़ रही थी।

, और जैसे चुनाव नजदीक आते गए , और विपक्ष कड़ी लड़ाई का सामना करता गया । सरकार द्वारा विपक्ष को गिरने की पूरी कोशिश की गई जैसे की छापे मरवाए,ई डी से जांच लगाई गई ; दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित दो मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला गया; और कांग्रेस से जो संबंधित बैंक के कहते थे उनको भी आयकर अधिकारियों द्वारा फ्रीज़ कर दिया गया|

विपक्ष के प्रदर्शन का श्रेय राहुल गांधी को जाता है , जो नेहरू-गांधी राजवंश के बहुत आलोचनात्मक वंशज थे। उनके परदादा जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक प्रधान मंत्री रहे। उनकी दादी और पिता भी पीएम रहे।

राहुल गांधी जी के बारे में क्या जानना चाहते है ?
नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव में क्यों असफल रहे पूर्ण बहुमत पाने मे ?

राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा बताया जाता है , ''वह राहूलो गांधी 5 वी पीड़ी के वंशज है और जो की इसके चलते उनको आलोचनाओं का सामना करना पढ़ा मीडिया मे उनकी इमेज को बहुत खराब किया किया गया ।'' “भारत की मीडिया का काम एक ही था जो राहुल गांधी बदनाम करना और नरेंद्र मोदी को पूरे दिखाना इसके चलते सोशल मीडिया ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। उन्हें निशाना बनाया गया और उनको पप्पू के रूप मे उनको घोषित किया गया |

लेकिन, उन्होंने कई वधाओं पर काबू पाया, लेकिन उनकी पार्टी की मेहनत और राहुल गांधी भी समझ गए थे इसके बाद

“भारत जोड़ों यात्रा और देश भर में कई मोर्चा किए और लाखों लोगों से मिले जिसके चले उनका कद बढ़ गया भारत जोड़ो यात्रा और देश भर में न्याय मार्च के दौरान, उन्होंने लाखों लोगों से मुलाकात की - जिससे उनका कद बढ़ गया| इस यात्रा के दौरान उनको ये पता चल गया था की सामने वाले को मात कैसे देना है

राहुल गांधी जी 2024 मे नरेंद्र मोदी के लिए खतरा के रूप में साबित हुए। इसका भय नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी सताने लगा था इस बजह से राहुल गांधी की लोक सभा की सदस्यता रद्द कर दी गई की चुनाव न लड़ पाए इस लिए लोकसभा सस्पेनडेड कर दिया गया|

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